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Wednesday, September 27, 2006
Sunday, September 24, 2006
Movie Review : Khosla Ka Ghosla
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फ़िल्म समीक्षा : खोसला का घोंसला
वाह! क्या फ़िल्म है... एकदम ज़बरदस्त। देखकर मज़ा आ गया। हालाँकि इसमें कोई बड़ा नाम नहीं है, लेकिन फिर भी पिक्चर धांसू बन पड़ी है। शुरुआत में मैं इस फ़िल्म के बारे में ज़रा शंकित था, क्योंकि रिलीज़ होने से पहले इसका ज़्यादा प्रचार वगैरह नहीं किया गया था। लेकिन फ़िल्म का ट्रीटमेंट ज़बरदस्त है। जिस तरह निर्देशद ने एक गम्भीर विषय को हास्यपूर्ण बनाकर कथानक में पिरोया है, उससे यह फ़िल्म बहुत मज़ेदार हो गई है।
अनुपम खैर ने खोसला का क़िरदार बहुत ही शानदार तरीक़े से निभाया है। यह कहानी है एक मध्यवर्गीय आदमी के एक सपने की - अपना घर बनवाने का सपना और साथ ही उस रोड़े की, जो उसके इस सपने और उसके बीच आकर अटक जाता है। बोमन ईरानी ने नाटकीयता से भरे अपने नकारात्मक क़िरदार को बख़ूबी पेश कर फ़िल्म में जान फूँक दी है। मेरे हिसाब से यह उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ अभिनय है। खुराना (बोमन) खोसला (अनुपम खैर) की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेता है और लौटाने के एवज़ में पन्द्रह लाख रु. मांगता है। खोसला और उसके बेटों की ज़मीन वापस पाने की पुरज़ोर कोशिश कई हास्यास्पद परिस्थितियाँ पैदा करती हैं, जिन्हें देखकर आप हँसे बिना नहीं रह सकते।
इस फ़िल्म को देखते समय हर मध्यवर्गीय इंसान इससे जुड़ाव महसूस करेगा। सभी अभिनेताओं ने बढ़िया अदाकारी की है। अगर आप कुछ अलग और मज़ेदार देखना चाहते हैं, तो इस पिक्चर को ज़रूर देखें। फ़िल्म में हँसी पैदा करने की कोई नक़ली या कृत्रिम कोशिश नहीं की गई है, बल्कि परिस्थितियों का हास्यपूर्ण चित्रांकन इस फ़िल्म को एक बेहतरीन कॉमेडी बनाता है। मैं इस फ़िल्म को दस में से पूरे दस दूंगा।
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फ़िल्म समीक्षा : खोसला का घोंसला
वाह! क्या फ़िल्म है... एकदम ज़बरदस्त। देखकर मज़ा आ गया। हालाँकि इसमें कोई बड़ा नाम नहीं है, लेकिन फिर भी पिक्चर धांसू बन पड़ी है। शुरुआत में मैं इस फ़िल्म के बारे में ज़रा शंकित था, क्योंकि रिलीज़ होने से पहले इसका ज़्यादा प्रचार वगैरह नहीं किया गया था। लेकिन फ़िल्म का ट्रीटमेंट ज़बरदस्त है। जिस तरह निर्देशद ने एक गम्भीर विषय को हास्यपूर्ण बनाकर कथानक में पिरोया है, उससे यह फ़िल्म बहुत मज़ेदार हो गई है।
अनुपम खैर ने खोसला का क़िरदार बहुत ही शानदार तरीक़े से निभाया है। यह कहानी है एक मध्यवर्गीय आदमी के एक सपने की - अपना घर बनवाने का सपना और साथ ही उस रोड़े की, जो उसके इस सपने और उसके बीच आकर अटक जाता है। बोमन ईरानी ने नाटकीयता से भरे अपने नकारात्मक क़िरदार को बख़ूबी पेश कर फ़िल्म में जान फूँक दी है। मेरे हिसाब से यह उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ अभिनय है। खुराना (बोमन) खोसला (अनुपम खैर) की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेता है और लौटाने के एवज़ में पन्द्रह लाख रु. मांगता है। खोसला और उसके बेटों की ज़मीन वापस पाने की पुरज़ोर कोशिश कई हास्यास्पद परिस्थितियाँ पैदा करती हैं, जिन्हें देखकर आप हँसे बिना नहीं रह सकते।
इस फ़िल्म को देखते समय हर मध्यवर्गीय इंसान इससे जुड़ाव महसूस करेगा। सभी अभिनेताओं ने बढ़िया अदाकारी की है। अगर आप कुछ अलग और मज़ेदार देखना चाहते हैं, तो इस पिक्चर को ज़रूर देखें। फ़िल्म में हँसी पैदा करने की कोई नक़ली या कृत्रिम कोशिश नहीं की गई है, बल्कि परिस्थितियों का हास्यपूर्ण चित्रांकन इस फ़िल्म को एक बेहतरीन कॉमेडी बनाता है। मैं इस फ़िल्म को दस में से पूरे दस दूंगा।
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Thursday, September 21, 2006
Is Bangladesh The Next Pakistan?
क्या बांग्लादेश अगला पाकिस्तान है?
आज के अख़बार में ख़बर है कि बनारस विस्फोट और 7/11 के मुम्बई धमाकों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी अस्लम कश्मीरी ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली है। इससे पहले भी बांग्लादेश की ज़मीन से भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता रहा है। साथ ही बांग्लादेश से लगातार हो रही घुसपैठ पूर्वोत्तर में गम्भीर समस्या का रूप ले चुकी है।
लेकिन भारत सरकार हमेशा की तरह ख़ामोशी से यह सब देख रही है और बांग्लादेश से निपटने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया जा रहा है। जब हम बांग्लादेश से निपट सकते हैं, तो कोई उचित कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। अगर बाद में बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरह परमाणु क्षमता प्राप्त कर लेता है तो फिर हम हाथ मलते रह जाएंगे और अपने घावों को बैठे सहलाते रहेंगे। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या बांग्लादेश आने वाले कल का पाकिस्तान है? और अगर इसका उत्तर हाँ है, तो इसके लिए अभी क्या किया जाना चाहिए?
आज के अख़बार में ख़बर है कि बनारस विस्फोट और 7/11 के मुम्बई धमाकों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी अस्लम कश्मीरी ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली है। इससे पहले भी बांग्लादेश की ज़मीन से भारत-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता रहा है। साथ ही बांग्लादेश से लगातार हो रही घुसपैठ पूर्वोत्तर में गम्भीर समस्या का रूप ले चुकी है।
लेकिन भारत सरकार हमेशा की तरह ख़ामोशी से यह सब देख रही है और बांग्लादेश से निपटने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया जा रहा है। जब हम बांग्लादेश से निपट सकते हैं, तो कोई उचित कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। अगर बाद में बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरह परमाणु क्षमता प्राप्त कर लेता है तो फिर हम हाथ मलते रह जाएंगे और अपने घावों को बैठे सहलाते रहेंगे। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या बांग्लादेश आने वाले कल का पाकिस्तान है? और अगर इसका उत्तर हाँ है, तो इसके लिए अभी क्या किया जाना चाहिए?
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